आए दिन वन्य जीवो का होता शिकार एक चिंता का विषय है -
राजस्थान नाम सुनते दिमाग में यही आता है की वीरो और सूरवीरो की धरती पर इस धरा में कुछ कायर भी पैदा हो गए है जो इस धरा के मान और सम्मान को मिट्टी में मिला रहे है इस देवभूमि की मर्यादा को धूमिल कर रहे है आये दिन वन्य जीवो को मारा जा रहा है यह बड़े दुःख की बात है वन्य जीव प्रेमी आये दिन शिकारियो के मंसूबो को नाकामयाब करते है और वन्य जीवो की रक्षा करते है
इन बेजुबान जानवरो का दोष क्या है जो इन को मारा जा रहा है हम इंसान फिर भी बोल और सुना सकते है
लेखक के द्वारा इन वन्य जीवो की आवाज को शब्दो बंया करने की कोशिश की है क्युकी यह बेजुबान जीव शायद अपनी बात इन हैवानो को ना कह सके या समझा सके
हे शिकारी बता क्या दोष था मेरा जो तूने मारा मुझे,
में फिरता हु इस प्रकृति में इस की शोभा बढ़ाता हु
हे शिकारी बता क्या दोष था मेरा जो तूने मारा मुझे
मेने कभी तुझे कोई कष्ट नहीं दिया है फिर क्यों किया
हे शिकारी बता क्या दोष था मेरा जो तूने मारा मुझे
मेंने क्या माँगा था तुझसे जो तूने यह सब किया है
हे शिकारी बता क्या दोष था मेरा जो तूने मारा मुझे
क्या नुक्सान किया था मेने तेरा जो तूने मारा मुझे
हे शिकारी बता क्या दोष था मेरा जो तूने मारा मुझे
मेने कोनसी दौलत मांग थी तुझसे जो तूने मारा मुझे
हे शिकारी बता क्या दोष था मेरा जो तूने मारा मुझे
यह लाइने इन बेजुबानो के दर्द को बंया करने के लिए काफी नहीं है पर कोशिश मात्र हैं हमारी बंया करने की
आये दिन होने वाली इन घटनाओ पर ना सरकार करवाई ना ही प्रशासन द्वारा इससे शिकारीयो के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं
हमारे वन मंत्री जी गहरी नींद सो गए है अब तो उठ जाओ मंत्री जी सुन लो इन बेजुबानो की नहीं तो फिर उन का दर्द आपको शायद जिंदगी में सोने ही ना दे
0 टिप्पणियाँ